पर्यावरण संवर्धन
"पर्यावरण सम्वर्धन "
प्रकृति से है संस्कृति
संस्कृति से
प्रकृति का गुणगान
पंच भूत से बनी प्रकृति
पंचभूत का है इंसान
हरियाली इसकी आत्मा,
है और स्वांस भी
प्रकृति प्रदत्त यह पर्यावरण
हरीतिमा है इसकी शान भी
क्यों कर रहा तू
इसका अपमान
भौतिकता की ये कैसी
परिभाषा
अतिवादीे से हुई ये दुर्दशा
खुद को सम्भ्रांत बताने में
वृक्षों से खिलवाड़ हो रहा
प्रौद्योगिकी के नाम पर
पर्यावरण दोहन से
खुद को माला-माल किया
सभ्यताओं के ढहने का
ना कभी कोई ख़याल किया
क्या होगा फ़िर
आने वाली नस्लों का
क्यों नहीं ये तूँ सोचता
अभी भी तो दर्पण देखना
अब भी कुछ तो हो सुधारना
नवनिर्माण की खातिर
आओ , एक बार फ़िर से
प्रकृति की ओर हो लौटना.