Sunday, 9 October 2016

मेरे हमसफ़र

तेरी की,तो तूँ जाने
मैंने सजदे में
सर झुका दिया
मैं ना देखूं
काशी, ना काबा
और  मैखाना ही
तेरे जलवे की बात
जब भी हो
वही हो मेरा बुतखाना भी
वो अंगूरी बाग़ तुम से
वो चश्मे *की आबी आब तुम से (water spring)
ये ताब *चाँद ओ सितारे की क्या कहें(brightness)
ये मौसम सुहाना क्या कहें
बस जान ले इतना
ये माहौल खुशगवार, यानि
तर्जुमा तुम से है
इस माहौल में आ चल
इक घूंट हम भी
लाफ़ानी (immortal)पी लें

जय माँ अम्बे

"जय माँ जगदम्बे "
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खूब जमा है दरबार माँ
आशीर्वादों से भरा
तेरा दरबार माँ
इक अजीब समां है बंधा
सुंदर है तेरी मूरत
हर कोई में बसी तेरी सूरत
हर कोई भक्त तेरा
भक्ति में तेरे है डूबा हुआ
तेरे दरवार में
दिखा ना आज कोई सवाली
जिधर भी गई नज़र
है बस खुशहाली ही खुशहाली
नाचे-गाये है सब मिलकर
बच्चे और नर-नारी
तेरा ऐसा जादू माँ
ना सोच ना फ़िक्र है कल की
मैया हम सब मिलकर मांगे
ऐसा एक वरदान दो
मिलकर हम सब एक रहें
हर एक दिन त्योहारों सा हो
सब का इस धरती पर
कल्याण हो.
@Ajha.31.03.17
स्वरचित:अपर्णा झा