Sunday, 9 October 2016

मेरे हमसफ़र

तेरी की,तो तूँ जाने
मैंने सजदे में
सर झुका दिया
मैं ना देखूं
काशी, ना काबा
और  मैखाना ही
तेरे जलवे की बात
जब भी हो
वही हो मेरा बुतखाना भी
वो अंगूरी बाग़ तुम से
वो चश्मे *की आबी आब तुम से (water spring)
ये ताब *चाँद ओ सितारे की क्या कहें(brightness)
ये मौसम सुहाना क्या कहें
बस जान ले इतना
ये माहौल खुशगवार, यानि
तर्जुमा तुम से है
इस माहौल में आ चल
इक घूंट हम भी
लाफ़ानी (immortal)पी लें

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