Saturday, 24 February 2018

हाहाकार

JNU की पूर्व छात्रा होने के नाते विगत कुछ दिनों में इस शिक्षण संस्थान में हुए राष्ट्र विरोधी नारे और आक्रोश ने मन को बहुत अशान्त कर दिया है और मन अनायास ही अनेकों खयालों के सैलाब में डूबा हुआ है .

कुछ हाहाकार मचा
कुछ अंधकार हुआ
इस पार हुआ , उस पार हुआ .
कुछ कोलाहल
कुछ घबराहट
कुछ विचलित
कुछ पथ भ्रमित
कुछ विस्मित
ये कैसी अस्थिरता
कभी सन्नाटा
कभी चिल्लाता
कभी मन इधर भागे
कभी उधर भागे
ये कैसी बेचैनी
कभी विस्मित होकर
कभी सम्मोहित होकर
कैसी ये दहलीज है
कैसा ये पड़ाव है
कभी मन शांति की तलाश करे और
कभी ये अशांत बारम्बार रहे .
क्यों ऐसा बना ये हाल है
ये कैसी जिंदगी की चाल है
जहाँ हर इंसान को अपने आस्तित्व की तलाश है , और देश ,
सहिष्णु - असहिष्णुता के बीच में
बँटा दो भाग है .
कैसी ये तबाही है कैसी तन्हाई
चलो खुद को दिलाशा देते हैं आज यही
ये देश ना कभी टूटा है ना टूटेगा कभी .
@ Ajha 16. 02. 16

शिवरात्रि

आक धतूर की बोली लग गई
भांग के नशे में है सब चूर
बोले हर कोई
हर -हर महादेव , बम बबम बू

बैल की सवारी देखो
रुद्राक्ष की माला है
ये तो नाग को माला पहने
कर भस्म का शृंगार
हर-हर महादेव,बम बबम बू

हाथ में डमरू
त्रिशूल और खड़ताल
ये कैसा सुरताल
हर हर महादेव, बम बबम बू

जोगी का रूप लिया है
त्रिदेव की तेरी काया
फिर भी भगवन भोले क्यों तुम
हर हर महादेव बम बबम बू

तूँ है ज्ञानी
तूँ विज्ञानी
सार तत्व में है तेरा ही बोध
हर हर महादेव,बम बबम बू.
@Ajha.24.02.17

शिवरात्रि

भगवान् है तूँ
इंसान मैं
झोली तेरी है भारी
तेरे सामने
खड़ा मैं भिखारी
क्या मैं करूँ तेरी प्रार्थना
तूँ सभी कुछ है जनता
ब्रह्मांड तुम्ही में समाया
नदी,जंगल पहाड़ों में
तेरी शक्ति रमाया
क्या करूँ मैं तुझको अर्पण
कैसे करूँ मैं तेरी भक्ति भगवन
तूँ तो सब कुछ है जनता
क्यों नहीं समझता मेरी व्यथा
जो तूँ ना मुझ को समझ पायेगा
कैसे फिर समझूँ
तूँ है त्रिदेव की माया
कलियुग में जन्मी हूँ
तेरे दर्शन को तरसी हूँ
मेरी बस तुमसे यही आराधना
अपने आशीषों को मुझ पर वरना
जन्म सफल हो जाएगा
मुक्ति का मेरे
मार्ग प्रशश्त हो जाएगा
हे महादेव, मेरे महादेव.
@Ajha.24.02.17