आक धतूर की बोली लग गई
भांग के नशे में है सब चूर
बोले हर कोई
हर -हर महादेव , बम बबम बू
बैल की सवारी देखो
रुद्राक्ष की माला है
ये तो नाग को माला पहने
कर भस्म का शृंगार
हर-हर महादेव,बम बबम बू
हाथ में डमरू
त्रिशूल और खड़ताल
ये कैसा सुरताल
हर हर महादेव, बम बबम बू
जोगी का रूप लिया है
त्रिदेव की तेरी काया
फिर भी भगवन भोले क्यों तुम
हर हर महादेव बम बबम बू
तूँ है ज्ञानी
तूँ विज्ञानी
सार तत्व में है तेरा ही बोध
हर हर महादेव,बम बबम बू.
@Ajha.24.02.17
No comments:
Post a Comment