Saturday, 24 February 2018

शिवरात्रि

भगवान् है तूँ
इंसान मैं
झोली तेरी है भारी
तेरे सामने
खड़ा मैं भिखारी
क्या मैं करूँ तेरी प्रार्थना
तूँ सभी कुछ है जनता
ब्रह्मांड तुम्ही में समाया
नदी,जंगल पहाड़ों में
तेरी शक्ति रमाया
क्या करूँ मैं तुझको अर्पण
कैसे करूँ मैं तेरी भक्ति भगवन
तूँ तो सब कुछ है जनता
क्यों नहीं समझता मेरी व्यथा
जो तूँ ना मुझ को समझ पायेगा
कैसे फिर समझूँ
तूँ है त्रिदेव की माया
कलियुग में जन्मी हूँ
तेरे दर्शन को तरसी हूँ
मेरी बस तुमसे यही आराधना
अपने आशीषों को मुझ पर वरना
जन्म सफल हो जाएगा
मुक्ति का मेरे
मार्ग प्रशश्त हो जाएगा
हे महादेव, मेरे महादेव.
@Ajha.24.02.17

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