मेरी नज़र में श्री कलाम -
जहाँ तक मुझे याद है, तो , कलाम साहब के व्यकित्व को मैं ने अपने पिताजी के माध्यम से जाना था . उन दिनों पिताजी सुरक्षा विभाग में कार्यरत थे . उन दिनों सुरक्षा विभाग . अपनी शताब्दी समारोह मना रहा था . ऐसे में इस विभाग में कार्यरत लोगों के हौंसलाफजायी के लिये श्री कलाम को आमंत्रित किया गया था . उन दिनों " Mission Future India " के काफी चर्चे हुआ करते थे . पिताजी को कलाम साहब के भाषण का रसास्वादन का मौका उसी शताब्दी समारोह में मिला था . मुझे आज भी याद है उनका भाव विभोर होना . उन्होंने मान लिया था कि श्री कलाम एक सूत्र (फॉर्मूला )हैं जिनकी अभिव्यक्ति देश की एकता और सुदृढता बनाये रखेगी और विश्वपटल पर भारत का नेतृत्व होगा .
यकीन मानिये उस भाषण का नशा तब से लेकर अबतक नहीँ उतरा है . मेरी . नज़र में कलाम साहब एक फरिश्ता थे जिनके आगमन से वातावरण अर्थपूर्ण , सकारात्मक और खुशनुमा हो जाये . जिनका अस्तित्व तपस्वियों सा ठहराव , शीतलता , शुद्धता और पवित्रता की अनुभूति कराये और जिनके समक्ष सारे " वाद " (ism), भाषा, स्थान बेमाइने लगे . ऐसे इंसान का ना होना ऐसा प्रतीत होता है मानो सपने में फ़रिश्ते से बात हो रही हो और नींद खुल जाये और वो फ़रिश्ता सामने से गायब हो जाये . मेरे मन में आपके लिये यही भावना रही है . आपकी कमी हमेशा खलेगी . आप जैसे सच्चे राष्ट्रवाद को मेरा सलाम .
Tuesday, 28 July 2015
श्री कलाम मेरी नज़र मॆं
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