Wednesday, 29 July 2015

नारी

ऐ मेरे भगवान ,
ये तूने क्या कर डाला .
क्यों मिट्टी में डाली जान ,
और नारी बना डाला .
जिसका वजूद इंसाँ को
ना जीने देता है ,
ना मरने देता .
कहने को तो नारी
एक सुंदरता है ,
एक विश्वास है ,
पर जिसके जन्म से
सबों के बदले- बदले से
एहसास हैं .
कहने को तो नारी
ससुराल की लक्ष्मी है .
पर कौन जाने ,
ये उसकी बदकिस्मती है .
नारी तुझे ये कैसा
जीवन दे डाला _
कहने को तो तुम में
चंद्रमा की शीतलता ,
मधु की मधुरता ,
मोरनी सी चाल है .
क्या सच में ये हाल है ?
ज़िंदगी की रफ़्तार ने ,
ज़माने के कुचाल से
विशेषण सारे विलीन हो गये .
ज़िंदगी की आज़माइश में
जो बचा रहा ,
वो है दुर्गा का रूप ,
नारी तेरा यही रूप ,
तेरा यही स्वरूप .

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