कल तक जो लगता था चमन कुछ उजड़ा सा आज कुछ बहार आने लगी महबूब की कुछ इस तरह से हुईं नज़रें इनायत सारे जहाँ में इक नूर सी पैदा हो गई . @ Ajha 10. 03. 16
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