Thursday, 29 June 2017

परवाज़

"परवाज़"

बातों से निकली जो बात
खुल रहे है अब परत दर परत राज़
बचपन में रंग बिरंगी तितलियों की
उड़ान के पीछे भागना
पंछियों के झुंड में शामिल हो
सोच हवाबाज़ीयों का
ख़यालों के वो पुष्पक विमान
मस्तिष्क पटल पर हमेशा निहारना
डोर संग पतंग ये दृश्य विहंगम
मन बावरा हुआ जाता
उड़ानों में थी आकर्षण ऐसे
ऊंचाइयों को छूने की कोशिशों में
मन प्राण एक हो गये हो जैसे
वही उड़ान जो बचपन में
उड़ती तितलियों को पकड़ने से
आगाज़ हो ,अब मंजिल बन गई
उम्र के अनेकों पड़ाव को छू
जिंदगी की परवाज़ बन गई.
Aparna jha
30.06.17

Wednesday, 28 June 2017

Friday, 23 June 2017

Thursday, 22 June 2017

#मन तितली #YQ didi Follow my writings on https://www.yourquote.in/aparna-jha-w03/quotes/ #yourquote

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करीबी

"करीबी"
कितने शर्मीले से थे तुम...
कभी अपनें मन की कुछ कह नहीं पाते.आरम्भ में मैं भी बड़ी हैरां परेशान रहती कि भला ये आदमी कैसा है,क्या इसमें अपनी चीजों को रखने का सलीका नहीं?
जब देखो कुछ ना कुछ ढूंढते रहता है, और फिर उसे पता भी नही कि आखिर वह ढूंढ क्या रहा है....मेरा तुम्हारे नज़र से ओझल होना तुझे एक पल के लिए भी मंजूर नही होता...पर ये बातें मुझे पता भी कैसे चलती....मैं तो मन ही मन खीझती रहती ...कैसी ये क्या ज़िंदगी है!...मुझे तो एकांत में अपने आप से बातें करते हुए बड़ा आनंद आता.कभी हरियाली देख ,कभी पक्षियों का आपसी संवाद को समझने की कोशिश करना ,कभी क्षितिज को दूर तक निहारना और उनमें अनेकों अक्स ढूंढना,प्रकृति में खुद को तलाशना_यही तो मेरी ज़िंदगी थी,जिससे मैं हमेशा खुद को जुड़ा महसूस करती थी. तुम्हारा मेरे जीवन में आना ....जैसे कोई नई पहेली ने जन्म ले लिया हो और उसे मुझे पूरे जीवन समझना होगा ....क्या ये सम्भव होगा...क्या मैं जीवन के इस पहेली को सुलझा पाऊंगी....!
आज तुम्हारे साथ इतने साल रहते गुज़रे और वो अनजानी पहेली अब मेरी बेहद खूबसूरत सहेली बन गई.अब मैं तुम्हारे मन की बातें पढ़ पाती हूँ, तुम्हारे बिना बोले उन एहसासों को समझ पाती हूं ,अब शायद इतने अल्फ़ाज़ों की जरूरत भी नही....साकित मन तुम्हारे चंचल मन को समझ चुका है.पर हाँ, तुम बहुत कुछ तो बदल गए परन्तु एक बात जो नही बदली .....यह समझ पाने में तुम अब भी धोखा खा जाते हो कि मैं तुम्हारे मन की बिन कहे समझ  पाई या नही .ऐसी परिस्थिति में तुम्हारी बेचैनी और खीझन को चुपचाप आनन्दमगन निहारती रहती हूं.और फिर से वही तुम्हारा वो शर्माना....कमाल!
दूरियों को नापते हुए आज हम कितने करीब हो गए......
@Ajha.20.06.17

Saturday, 17 June 2017

प्रेम वार्ता

घटा मन भावन
अति सुहावन
मन हुआ चितचोर
चाँद भी ढूंढे चकोर
लगे अति पावन
बड़ा लुभावन
दादुर नाचे
लगे सुख पावन
भीगे तनमन
नदी बीच धारे
बजे जलतरंग
बैठ संग तुम्हारे
नदी किनारे
शर्माते,नैना झुक जाते
शांति सी छाई
बहे शीतल पवन
नैना करे इशारे
अंतर्मन तुझी को पुकारे
करना चाहे तुझी से बतियाँ
प्रिय!अब कुछ तो कहो
मेरे मन की
हारी मैं हारी
होके तिहारी
बस जान जाओ मन की मेरे
जीवन अपना है अब ऐसा
मैं तेरी राधा बन
तूँ मेरा है मुरली बजैया
तुम छेड़ो अब तान
मैं तेरी धुन बन
जीवन तर जाऊँ
पार उतर  आऊं
प्रिय ! सुनो ना मेरे मन की बात.
प्रभु ! सुनो ना मेरे मन की बात.
@Ajha.17.06.17

Friday, 16 June 2017

#खुदाई #YQ didi Follow my writings on https://www.yourquote.in/aparna-jha-w03/quotes/ #yourquote

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वक्त वक्त की बातें....

"वक्त-वक्त की बात..."

वक्त वक्त की बात है
कभी मैंने समझा नही
कभी तुमने सुना नही
कहने सुनने का अब
वक्त बचा नही

वक्त वक्त की बात है
ना थी मैं तुझे मंजूर
ना मंजूर तूँ मुझे
आज सब कुछ लुटा हुआ
हैं खुद से कितने दूर

वक्त वक्त की बात है
भीड़ थी फिर भी खामोशियाँ
आज तन्हाई है फिर भी
है शोरगुल कितना

जब कभी भी थे दूर तब
नज़रें ढूंढ़तीं थीं आसपास
जब पास तेरे साथ हैं
नज़रें फिर भी ढूंढ़तीं हैं दूरतलक

अब ना मैं, ना तुम
और ना ही तन्हाई
वक्त वक्त की बात हैं
सब वक्त वक्त की बात.
@Ajha,16.06.17

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Wednesday, 7 June 2017