Friday, 16 June 2017

वक्त वक्त की बातें....

"वक्त-वक्त की बात..."

वक्त वक्त की बात है
कभी मैंने समझा नही
कभी तुमने सुना नही
कहने सुनने का अब
वक्त बचा नही

वक्त वक्त की बात है
ना थी मैं तुझे मंजूर
ना मंजूर तूँ मुझे
आज सब कुछ लुटा हुआ
हैं खुद से कितने दूर

वक्त वक्त की बात है
भीड़ थी फिर भी खामोशियाँ
आज तन्हाई है फिर भी
है शोरगुल कितना

जब कभी भी थे दूर तब
नज़रें ढूंढ़तीं थीं आसपास
जब पास तेरे साथ हैं
नज़रें फिर भी ढूंढ़तीं हैं दूरतलक

अब ना मैं, ना तुम
और ना ही तन्हाई
वक्त वक्त की बात हैं
सब वक्त वक्त की बात.
@Ajha,16.06.17

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