Thursday, 21 June 2018

धमकियाँ

धमकियां
जीवन धमकियों से भरी एक दास्तान
आज तक धमकियों को ही तो जिया है इंसान
क्या कभी सोच पाए कि प्यार से भी बातें होतीं हैं पूरी
कलतक जिस माँ-बाप ने यह ना सोचा कि
प्यार पाने के लिए प्यार जताना भी होता है
पति-पत्नी का प्यार,माँ-बाप का आपसी सौहार्द
जान लीजिये, बच्चे जो देखते हैं
मन में उनके वही भाव पनपते हैं
आपस में जो प्यार और सम्मान जताया होता
याद रहे परिणाम में ये वृद्धाश्रम ना आया होता
बच्चों को पैसा कमाना ही शिक्षा बता कर
जो बचपन ना तरसाया होता
तो होते नही ये दागी नेता और
समाज ना कभी धमकियों से किसी के डरा होता
ना हि होते बिगड़े होते इतने हालात
अब तो संभल जाएं हम करके धमकियों को दरकिनार
अनुभूति बस यही रहे
जहाँ में है प्यार ही प्यार.
अपर्णा झा

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