धमकियां
जीवन धमकियों से भरी एक दास्तान
आज तक धमकियों को ही तो जिया है इंसान
क्या कभी सोच पाए कि प्यार से भी बातें होतीं हैं पूरी
कलतक जिस माँ-बाप ने यह ना सोचा कि
प्यार पाने के लिए प्यार जताना भी होता है
पति-पत्नी का प्यार,माँ-बाप का आपसी सौहार्द
जान लीजिये, बच्चे जो देखते हैं
मन में उनके वही भाव पनपते हैं
आपस में जो प्यार और सम्मान जताया होता
याद रहे परिणाम में ये वृद्धाश्रम ना आया होता
बच्चों को पैसा कमाना ही शिक्षा बता कर
जो बचपन ना तरसाया होता
तो होते नही ये दागी नेता और
समाज ना कभी धमकियों से किसी के डरा होता
ना हि होते बिगड़े होते इतने हालात
अब तो संभल जाएं हम करके धमकियों को दरकिनार
अनुभूति बस यही रहे
जहाँ में है प्यार ही प्यार.
अपर्णा झा
Thursday, 21 June 2018
धमकियाँ
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