"आवारगी "
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तलाश में एक राह की
पहुँच चुकी है वहाँ ज़िंदगी
तंहाइयों में भी है इक खुशी
अनजानी सी राह भी हो चली अपनी
कितनी आसां सी है हर मुश्किल
ना सोचना अब हल ठोकरों का
मसायिलों को खुद-बा-खुद राह दिखने लगी
ना रही अब कोई मुश्किल
ना कोई अब मुजीर (harmful)
ना मुँहताज़ी ही (needy)
ना ही है महदूदियत (limitation)
ना हि मुहाफिज कोई यहाँ
ना अब कोई मसखरी (ridiculous)
बस मुत्तफिक हूँ
मुत्तहिद , मुतमईन
आरायिशे दिल
ना कोई तिश्नगी
बस है महफूजियत
इक मौसिक़ी है मिल गई
ममनून हूँ , ऐ ज़िंदगी !(thankful)
कि अब मैं हूँ और मेरी
आवारगी.@Ajha 31.05.16
* आवारगी यानी रोज़मर्रा की ज़िंदगी से अलग शायर जो अपने लिये एक दुनिया तलाश लेता है
और वही अब उसकी ज़िंदगी हो.
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