"ट्रेनक ओ यात्रा..."
(मैथिली में)
"गार्गी सखि अहाँ एत्तs! एत्तेक समानक संग, बुझाईया कत्तहु दूरक यात्रा पर छलहुँ."
"अरे कामख्या सखि अहाँ! की हाल,हम ता घबराए गेलहुँ.अहूँ ता बुझाइया कत्तहु जाय लेल छी."
"हँs सखि,कनि पटना कॉलेजक किछु काज से जा रहल छी. आ देखियो ने एत्तs आबि के ज्ञात भेल जे ट्रेन दू घंटा लेट से चलि रहल अछि.कोहुना समय ता काटय पड़तै."
"अहाँ उदास कीया भेलहुँ,ईश्वर चाहलैथ तैं एत्तेक दिन बाद एत्तs भेट भेल.चलू अपना सब कनि मोनक गप्प करी. समय ता तुरत कटि जायत."
"ठीके कहलहुँ सखि हमरो अहि में ईश्वरे के किछु प्रयोजन बुझा रहल अछि.चलू ओहि बेंच पर बैसी."दुनू सखि हँसैत-बाजैथ ओ बेंच पर जा बैसली.
कामख्या कनि हंसी करैत कहलीह_गप्प ता आरो हेतै मुदा हमरा ई बताओ जे ट्रेन से उतरै के पश्चातो अहाँ ओहि ट्रेन के आ बादो तक ओहि पटरी के अनन्त तक निहारि रहल छलिये... की कोनो खास बात."
"नहि सखि कोनो बात नहि".धकचुकैते गार्गी कहली.
"नहि सखि हमरा ता ओ वला बात बुझाइत अछि_'बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी..."
"नहि मानब अहाँ बिन बुझने... अहाँ ठीके बुझलहुँ. हम अप्पन कल्पना में डूबल छलहुँ.गत सांझ ,राति आ भोर चंद्रेशक बजलाहा सब गप्प मस्तिष्क पटल पर ओहिना नाचि रहल.हम्मर दुनू के कात दिसन के उप्पर आ निच्चा वाला सीट छल. ओ दिल्ली के कोनो कॉलेजक विद्यार्थी छल.नहि जानि जेठ बहिनक एहेन कोन गुण हमरा में देखल जे दीदी-दीदी कही मायक हाथक रोटी सा लs बहिनक विवाह आ कालेज प्रकरण सब सुनेने गेल. ना चाय ना भोजन के कोनो तकलीफ होम s देलक.राति सूतs लेल ता गेल मुदा फेर आपस हमरा सीट पर बैसी जगा देलक..."दीदी घर जा के सूति रहब".अप्पन फोन नम्बर पकड़ाबैत कहलक_"दीदी बिसैर ता नै जायब हमरा?"आय भोरे जखन हमर स्टेशन आयल ता सबटा समान अपने हाथे उतारि नम आँखि से गोर लागलक आ चुपचाप वापस ट्रेन में चढ़ि गेल. तखन सs हम चंद्रेशक छवि के ट्रेनक पटरी के अनन्त में ताकि रहल छी कि भरिसक कोनो छवि बनि उभरि आबय..."
"सखि की आकस्मिक बनल एहेन संबंध के कोनो भविष्य होइतो अछि वा नहि...?"अचानक वातावरण में शांति पसरि गेल. तखने पाछु से कोनो ट्रेनक सीटी के आवाज भेल.ओ ट्रेन अप्पन गंतव्य लेल प्रस्थान कs रहल छल.सामने वला सीट पर बैसल व्यक्ति अप्पन मोबाइल पर गीत सुनी रहल छल जकर पाँति हल्का-हल्का सखि सब के सेहो सुनाई दs रहल छल_"नेहक डोरी कोना बंधतै... गाम तोहर बड़ दूर बटोही.."
अपर्णा झा
*(हिंदी में लिखल हमर एकटा लघुकथा के मैथिली में अनुवाद.मैथिली में कनि कमजोर छी, भाषा आ शब्दक एकटा मर्म होइत अछि, तकर शायद कमी बुझायत ताहि लेल माफी माँगैत छी आ सुधारक उम्मीद करैत छी)
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