Friday, 22 January 2016

नामुराद जिंदगी

नामुराद इस जिंदगी ने दिया कम ,
जो दिया वो
दो आरजू , दो इंतज़ार में गुज़र गये
फ़िर भी इंसान कहता रहा _
ये तो हमारी किस्मत थी , जो मिला
सो बहुत मिला .@ Ajha .

Thursday, 21 January 2016

कहते भी हैं और शिकायत भी . . . .

कहते भी हैं और ,
शिकायत भी है कि
रोज़ तुम मिला करो .
पर सच तो ये है मेरे दोस्त _
मन मिलने की बात है सो मिल गये ,
भौतिकता तो दिखाने की बात है ,
क्षण भंगुर है , भंगुर हो के रहेगी
शाश्वत मन का मिलना है
ना दिखे किसी को , अमर तो रहेगी .
@ Ajha . 22. 01.16

धर्म के नाम पे लड़ने वालों . . .

धर्म के नाम पे लड़ने वालों ,
बुरा ना मानों ऐ  दुनियाँवालों 
कैसा ये 'धर्म की राह 'और कैसी ये 'सीख '. 
बचपन में जो सिखाया  _ 
" तू हिंदू बनेगा ना मुसलमान बनेगा , "
उसी कदमों पे हम चले थे
ना मालूम था कि मुर्शीद के सीख की
नींव इतनी कमज़ोर थी कि
इक हवा के झोंके ने
अल्फाज के मायने ही बदल डाले .
अब तो वर्षों की सीखी हुई बातों से
खुद को तो जुदा कर गये , पर
दिल में अब भी  वो सीख बाँकी है .
सुना था , इतिहास खुद को दुहराती है,
आज हम उसी दोराहे पे खड़े हैं , जहाँ
मेरे लिये मुर्शीद  की पदवी है और
शागिर्द मेरे सामने है .
फ़िर उसे सीख बतानी है और
उसके सामने फ़िर वही ज़माना है . .
@ Ajha . 22. 01. 1

Mursheed - guide
शागिर्द - स्टूडेंट , deciple

दोस्ती : दिल की बातें

चाहे रास्ते कितने ही लम्बे हो जायें ,
चाहे आप कितनी ही आसमानों को पार कर जाओ ,छाप जो लग़ा दी हमने आप पे दोस्ती की
आकार में नुक्ता ही सही , नज़र तो हम आयेंगे ही चलो ये तो अच्छा ही हुआ कि याद हमें करते - करते सफ़र कट ही जायेंगे .
शुभ यात्रा , दोस्ती को सलाम
@ Ajha .

Friday, 15 January 2016

बाजी राव मस्तानी (फिल्म )

आज 'बाजी राव मस्तानी' फिल्म  देखने गई थी . बहुत दिनों के बाद मंत्र - मुग्ध हुई पड़ी हूँ . अब तक ये तय नही कर पा रही कौन सा पक्ष कमज़ोर या सशक्त मानू. क्या कहानी , क्या दृश्यावली , क्या गाने _ बेमिसाल . ऐसा लग रहा था राजा रवि वर्मा जी की painting सजीव हो गई है , अद्भुत . मैं कहूंगी 'अनारकली 'के बाद इस तरह की मुझे ये पहली फिल्म लगी जिसमें हर बात पर 100 अंक देने का मन बना लिया है . गाने एक से बढ़कर एक है जो classical हिन्दी और laavni है . पर जो मेरे दिल को छू गया उस गीत को यहाँ मैं दे रही हूँ सुनयेगा  जरूर . @ Ajha .

तुझे याद कर लिया है
तुझे याद कर लिया है
आयत की तरह

कायम तू हो गयी है
कायम तू हो गयी है
रिवायत की तरह

तुझे याद कर लिया है
मरने तलक रहेगी
मरने तलक रहेगी
तू आदत की तरह

तुझे याद कर लिया है
ओ तुझे याद कर लिया है
आयत की तरह

ये तेरी और मेरी
मोहब्बत हयात है
हर लम्हा इसमें जीना
मुक़द्दर की बात है

कहती है इश्क दुनिया जिसे
कहती है इश्क दुनिया जिसे
मेरी जान इ मन
इस एक लफ्ज़ में ही छुपी कायनात है

मेरे दिल की राहतों का तू
जरिया बन गयी है
तेरी इश्क की मेरे दिल में
कई ईद मन गयी है

तेरा ज़िक्र हो रहा है
तेरा ज़िक्र हो रहा है
इबादत की तरह

तुझे याद कर लिया है
ओ तुझे याद कर लिया है
आयत की तरह

नया साल

सुस्वागतम नव वर्ष- 2016
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फ़िर से नया साल आ रहा
क्या भूला , क्या याद रहा
क्या खोया , क्या साथ रहा .
कई कालखंडों को जीने में
कई बातें हुईं , वाकयातें हुईं .
कभी कोई संगी - साथी हुआ
तो किसी ने साथ छोड़ दिया .
प्यार हुआ , इकरार हुआ
जीने को संसार मिला .
जिम्मेदारियों का खुद को एहसास हुआ
वफादारी का हर बार इम्तहान हुआ .
किसी की खुशी के सबब हुए ,
तो कोई , दुखों की पोटली दे गया .
ज़माने से ही शिकायतें रहीं , और
ज़माने से ही प्यार हुआ .
कभी भीड़ के साथ हो चले
कभी तन्हाई सच्ची लगने लगी .
उम्र गुजरती रही , हमसफ़रे - जिंदगी
की तादाद बढ़ती गई .
आश्चर्य - चकित रहे ,
संग आनंदित होते रहे
अपनों में परायों को देखा ,
पराये अपने लगने लगे .
जिंदगी के खेल हम देखते रहे ,
जिंदगी के सफ़र में जो जितना साथ दे
अपनी ख़ुशकिस्मती मान अपनाते रहे .
अब खुद को समझाया है _
परछाई अपनी सच्ची है ,
बाँकी सब तो माया है .
यही सोचते - आंकते एक और साल गुज़र गया , नववर्ष फ़िर से सामने है आ खड़ा  , आइये
अनेक शुभकामनाओं के संग करें
सुस्वागतम , सुस्वागतम , सुस्वागतम .@Ajha .

श्रधांजलि

श्रधांजलि
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दोष आरोपित हो किसपे कि ,
इक जांबाज़ पर प्यार आया .

बहुत अरमां से दिल दे बैठी कि ,
वो देखो , हिन्द का फौजी
जांनिसार आया है .

ना था अंदेशा लहू के बहने का ,
जो कलाबाजियों , जाँबाजियों पर खुद को लुटा बैठी .

काग़ज़ की कश्ती और गुड़ियों का खेल था  मैंने खेला , अब जिंदगी का खेल मुझे झेलना होगा .

पहले तो दूर हो के भी पास होने का ख़याल  होता था ,
आज हर कुछ खोया - खोया सा गुमा होता  है .

हवा  के संग उनकी दुआएं भी साथ आती थी
संग प्यार का पैगाम लाती थी .

देश की बदहवाओं से , पड़ोसियों की बदनिगाहों से
फौजी की दिलदारी , वफादारी देखी ना गई .

बदसोच का वो ऐसा शिकार हुआ ,
भगवान की भी हार हो गई .

नेताओं के सुख के आगे,किस पर ये देश करे विश्वास अरे कुछ तो करो अब कुर्बानियों का हिसाब .

अब कौन सुनेगा मेरी इस फरियाद को
" लहू बहाने वालों अब कहीँ तो विराम दो " .
@Ajha .
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देश के लिये न्योछावर होने वाले सभी जवानों को शत - शत नमन और परिवार के प्रति सहानुभूति .

Soch aur sanskriti

दिल हुम - हूम करे , घबराये . . . .
तेरी ऊँची अटारी , मैंने पंख लियो कटवाय . . .

जी हाँ सही समझा आपने . कला , संस्कृति और अपने प्राचीनतम समय में विचरण करने का एक अपना ही मज़ा भी है और नशा भी .   ठीक उसी तरह का नशा ,  जैसे कि किसी को सिगरेट,  दारू, पढाई इत्यादि का हो . कितना भी मुझे 'जोधा बाई '  होने के एहसास ने कुछ पल के लिये रानी बना दिया और उन शाही पलों में मैं खुद को खोने लगी पर जब वास्तविक जीवन की जीने की बात है तो लगता है प्रजातंत्र में जीने का एक अलग ही आनंद है . हो सकता है मेरी दलील एक पक्षीय हो . हो सकता है प्रजातंत्र में ही पहला साँस लिया है और अब तक लेती आ रही हूँ . अब आप अगर इसमें खामी निकालेंगे तो मैं यही कहूंगी कि इसका जड़ कारण भी 'आजादी का सही मायने में दुरुपयोग ' होना ही है .@ Ajha .

मंजिल

प्रकृति ने जो हमें कलाकारी दी है उसे ही हमने अपने कल्पनाशीलता और सृजनात्मकता की देन मान बैठे हैं .@ Ajha .

इंतज़ार

इंतजार ऐसे में कैसे कोई क्या कहे और क्या सुने ,
कशमकश में हूँ , कि था जिसका इंतज़ार  ,
देखो
वो दूssssर से आ रहा . . . . . .

पंछी तेरा बस एक ही ठीकाना .

मीना दीदी आप के चित्र - चुनाव कितना  कुछ कह जाते हैं .

सज़ा

बरषों की खता किसने की
जन्मों की सज़ा हमने है पाई .
बैठे तो हैं वो मौन से ही मुद्दतों से
पर वार जो ख़ंज़र का हुआ नज़रों से मुझ पर
किसको बतायें अपनी , दुहाई है दुहाई .@ Ajha .

मैं और मेरा आईना

आईना
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वो जो था मेरा आईना  , बैठी हूँ उसके पास मैं .
वही आईना जो कभी मेरी मासूमियत पे हँसता होगा .

यादें वो माँ की मार का , पिता के प्यार का
वो चोटियों को प्यार से गूंथना
नये कपड़े में खुद को निहारना ,

सब कुछ तो दिखता था ,
कितना प्यारा था वो आईना .

ये तो आईना ही था जो ग़म और खुशियों को
इतनी करीबी से निहारता , और फ़िर
मुझ से ही मुझे पुचकारता .

जवानी में आईने के मायने बदल गये
कभी इससे प्यार हुआ तो कभी
नफ़रत बेहिसाब हुआ .

जितनी भी बातें थीं , वो सब
आईने को ही तो थीं बतानी , कभी इसे
वफादार कहा , तो कभी ये धोखेबाज़ हुआ .

अब जब बैठी हूँ उसी आईने के सामने ,
कितना कुछ बदल गया ,इतने बसंत जो हम साथ थे , ना पूछो क्या हाल हुआ .
अब तूँ ही बता आईना _

" क्यों ऐसी विरक्ति मेरा तेरे साथ हुआ " .@ Ajha .

मेरे प्रभु

करना है कई प्रश्न उस निराकार ईश्वर से ,
उस कर्ता - भर्ता- हर्ता से ,
लड़ूं मैं किससे अपने वजूद को .

जब सब सुख में तुम्हीं समाये हो , तो
दु:ख का कारण क्यों हम इंसान बने .

रिश्तों में तो हमने खुद को ढाला  तो
फ़िर खून का क्यों हम इलज़ाम लें .

धरा पड़ी है जल्लादों से, सैयादों से ,
बैठे हो  तुम मूक - बधिर से , फ़िर ,
क्यों हम तुमको भगवान कहें .

डोर जो थामे रखा है कठपुतलियों का
क्यों हरदम नचाते हो , क्या
तुम्हें रास आता नहीँ दो पल सुकूनो- आराम का .

@ Ajha .