सुस्वागतम नव वर्ष- 2016
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फ़िर से नया साल आ रहा
क्या भूला , क्या याद रहा
क्या खोया , क्या साथ रहा .
कई कालखंडों को जीने में
कई बातें हुईं , वाकयातें हुईं .
कभी कोई संगी - साथी हुआ
तो किसी ने साथ छोड़ दिया .
प्यार हुआ , इकरार हुआ
जीने को संसार मिला .
जिम्मेदारियों का खुद को एहसास हुआ
वफादारी का हर बार इम्तहान हुआ .
किसी की खुशी के सबब हुए ,
तो कोई , दुखों की पोटली दे गया .
ज़माने से ही शिकायतें रहीं , और
ज़माने से ही प्यार हुआ .
कभी भीड़ के साथ हो चले
कभी तन्हाई सच्ची लगने लगी .
उम्र गुजरती रही , हमसफ़रे - जिंदगी
की तादाद बढ़ती गई .
आश्चर्य - चकित रहे ,
संग आनंदित होते रहे
अपनों में परायों को देखा ,
पराये अपने लगने लगे .
जिंदगी के खेल हम देखते रहे ,
जिंदगी के सफ़र में जो जितना साथ दे
अपनी ख़ुशकिस्मती मान अपनाते रहे .
अब खुद को समझाया है _
परछाई अपनी सच्ची है ,
बाँकी सब तो माया है .
यही सोचते - आंकते एक और साल गुज़र गया , नववर्ष फ़िर से सामने है आ खड़ा , आइये
अनेक शुभकामनाओं के संग करें
सुस्वागतम , सुस्वागतम , सुस्वागतम .@Ajha .
Friday, 15 January 2016
नया साल
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