बरषों की खता किसने की जन्मों की सज़ा हमने है पाई . बैठे तो हैं वो मौन से ही मुद्दतों से पर वार जो ख़ंज़र का हुआ नज़रों से मुझ पर किसको बतायें अपनी , दुहाई है दुहाई .@ Ajha .
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