Friday, 15 January 2016

श्रधांजलि

श्रधांजलि
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दोष आरोपित हो किसपे कि ,
इक जांबाज़ पर प्यार आया .

बहुत अरमां से दिल दे बैठी कि ,
वो देखो , हिन्द का फौजी
जांनिसार आया है .

ना था अंदेशा लहू के बहने का ,
जो कलाबाजियों , जाँबाजियों पर खुद को लुटा बैठी .

काग़ज़ की कश्ती और गुड़ियों का खेल था  मैंने खेला , अब जिंदगी का खेल मुझे झेलना होगा .

पहले तो दूर हो के भी पास होने का ख़याल  होता था ,
आज हर कुछ खोया - खोया सा गुमा होता  है .

हवा  के संग उनकी दुआएं भी साथ आती थी
संग प्यार का पैगाम लाती थी .

देश की बदहवाओं से , पड़ोसियों की बदनिगाहों से
फौजी की दिलदारी , वफादारी देखी ना गई .

बदसोच का वो ऐसा शिकार हुआ ,
भगवान की भी हार हो गई .

नेताओं के सुख के आगे,किस पर ये देश करे विश्वास अरे कुछ तो करो अब कुर्बानियों का हिसाब .

अब कौन सुनेगा मेरी इस फरियाद को
" लहू बहाने वालों अब कहीँ तो विराम दो " .
@Ajha .
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देश के लिये न्योछावर होने वाले सभी जवानों को शत - शत नमन और परिवार के प्रति सहानुभूति .

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