श्रधांजलि
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दोष आरोपित हो किसपे कि ,
इक जांबाज़ पर प्यार आया .
बहुत अरमां से दिल दे बैठी कि ,
वो देखो , हिन्द का फौजी
जांनिसार आया है .
ना था अंदेशा लहू के बहने का ,
जो कलाबाजियों , जाँबाजियों पर खुद को लुटा बैठी .
काग़ज़ की कश्ती और गुड़ियों का खेल था मैंने खेला , अब जिंदगी का खेल मुझे झेलना होगा .
पहले तो दूर हो के भी पास होने का ख़याल होता था ,
आज हर कुछ खोया - खोया सा गुमा होता है .
हवा के संग उनकी दुआएं भी साथ आती थी
संग प्यार का पैगाम लाती थी .
देश की बदहवाओं से , पड़ोसियों की बदनिगाहों से
फौजी की दिलदारी , वफादारी देखी ना गई .
बदसोच का वो ऐसा शिकार हुआ ,
भगवान की भी हार हो गई .
नेताओं के सुख के आगे,किस पर ये देश करे विश्वास अरे कुछ तो करो अब कुर्बानियों का हिसाब .
अब कौन सुनेगा मेरी इस फरियाद को
" लहू बहाने वालों अब कहीँ तो विराम दो " .
@Ajha .
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देश के लिये न्योछावर होने वाले सभी जवानों को शत - शत नमन और परिवार के प्रति सहानुभूति .
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