राजा हुए, संत हुए ,मुनि और ज्ञानी
माँ-बाप बिना सब की अधूरी है कहानी
सार-तत्व भी यही मेरे भी जीवन का
पर याद है वो सब बीते हुए पल का
बेकार गई सब सोच मेरी, जो
बचपन से था अबतक पाला
मेरी माँग और उस पर थप्पड़ की गूँज
बगावत करना मुझे खुद से ही आ गया
आपलोगों पर बड़े परिवार का बोझ था
पर ममता आपकी कभी हमारे लिए ना
कमजोर थ
जो ख्वाहिश ना होती पूरी मेरी तो
गुस्सा भी मेरा बेजोड़ था
हमेशा सोचती, आप से अच्छा दूंगी
मैं बच्चे को प्यार
पर यह नही थी जानती, ममता नहीं होती
पैसों की मोहताज़
आज जो पैसे पर बिकती ममता
हर अमीर का बच्चा ही आगे निकलता
निश्चित माँ-बाप ने दिए होंगे संस्कार कुछ अच्छे
जो गरीबों के बच्चे भी आगे हैं निकलते
आज भी हमने जो सोच में
मजबूती है पाई
निश्चित ही इसमें है आपलोगों की करिश्माई
बहुत ही आजमाइशों का दौर है बच्चे पालना
बन गए तो गंगा पार और नहीं तो
कुछ और. पड़ता है झेलना
उम्र भर की कमाई दांव पर लग जाती
ज़रा सी इक ईंट हिली और परिवार की नींव
हिल जाती
आज मैं भी खड़ी हूँ उसी मकाम पर
खुशनसीब हूँ आशीष है आपका मुझ पर
नहीं है कूवत मेरी आपको कुछ कहने की
अब सही मायने में है मुझे एहतराम आपकी.
@Ajha.
Friday, 24 June 2016
माँ-बाप
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