Tuesday, 11 August 2015

खण्डहर

इन्हें खण्डहर ना कहो दोस्तों ,
ये तो इक मकान है .
हमारे पुरखों की
आन- बान और शान है .
सुनो पुकारें इनकी ,
ये कुछ कहना चाहती हैं .
ये गवाह है, चश्मदीद है
उन खुशगवार पलों का,
उन बदहवास पलों का ,
उन तानाशाहियों का ,
जम्हूरियतों का ,
जिनके किस्से हम सुना करते थे ,
और उन यादों को बुना करते थे .
वो तहज़ीबो के किस्से,
वो प्रेम के किस्से ,
बाजियों के किस्से ,
सौगातों के किस्से .
वो गणित की कहानी ,
वो विज्ञान की जुबानी ,
वो  संगीत की लहरें ,
वो फसल वो सुनहरी ,
ये गवाह हैं उनके ,
ये गवाह हैं उनके .
ये वेदों की भाषा ,
ये पुराणों की कहानी ,
चर्चे जिनके पुरखों- पुरखों से सुने ,
किस्से- किताबों में मिले ,
आज वही खण्डहर
चीख के कहता है _
" एक था राजा, एक थी रानी ,
मत ढाहो मुझे ,
मैं हूँ उनकी निशानी " .
                     - - - - Aparna Jha

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