कैसी ये लापरवाही , कैसी ये नादानी , मेरे नाम की लकीरों को खिलौना समझा . टूटने दिया , बिखरने दिया , डूबने दिया . अब कैसे फ़िर से उसे नज़्म बनाओगे , गौशा- ए - दिल में कैसे उसे फ़िर बिठाओगे .
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