छोटी- छोटी बच्ची ,
उम्र की है कच्ची ,
मन से है सच्ची ,
पापा की दुलारी ,
माँ की है प्यारी .
खुशी की है पोटली .
आफिस जाने को
पापा का रस्ता है रोकती .
पापा फ़िर है मनाते .
जान- बुझ कर बच्चों से
तब हैं रूठ जाते .
बच्चे तब हैं उन्हें गले लगाते ,
प्यार से फ़िर खूब मनाते .
बिटिया तो है परी और मुनिया ,
हँसती रहे , खिलखिलाती रहे
यही है प्यार की दुनियाँ .
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