Monday, 7 September 2015

रिश्ते

अजब ये संसार है ,
एक ही रिश्ते में
अनेकों रिश्तों का सार है , 
ये संसार है .
क्या कहें इसे _
पति - पत्नी का रिश्ता ,
साथी का , सहचरी का ,
सहवासी , सहगामी का ,
अर्धनारिश्वर का ,
जहाँ प्यार है , तकरार है
शिकवे हैं , शिकायत है
थर्राहट है , बौखलाहट है ,
कभी  अविश्वास है ,
फ़िर भी पूरा- पूरा विश्वास है .
बेफिक्री है ,
फ़िर भी फिक्र है .
इसमें माँ- बाप का रूप है .
आशाएं हैं , तमन्नाएँ हैं .
उम्मीदें हैं , विश्वास है
साथ  चलने की आस है .
कभी आशाएं हिल जातीं हैं ,
तमन्नाएँ मिट जातीं हैं ,
पर ये वो बुनियाद हैं जो ,
विश्वास दिलाती हैं _
नींव कभी ना हिला है कभी
ना हिलेगा कभी .
मकान ना कभी ढला है ना धलेगा कभी
कैसा तूने संसार है रचाया _
अजब तेरी माया ,
गज़ब तेरी काया .
_ _ _ Aparna jha

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