जो गुज़र गई
सो गुज़र गई .
जो गुज़र रही है , गुज़र रही .
कभी इस तरह ना थे
हम - तुम आशना
मेरे हम नशीं , मेरे हमनवा
ये तुझे क्या हो गया _
कभी ख्वाब में भी ना सोचते
कि हम- तुम हो जायेंगे जुदा .
कभी जो कोई पत्ता हिले
या कि फ़िर हवा चले ,
तुम्हें ऐसा ही लगे
मैं तेरे पास हूँ , तेरे पास हूँ .
नींद में भी जब रहे ,
एक ज़रा क्या आवाज़ आई ,
घबराये सोच के तुम तन्हाई .
अपने सांसों में तुमने मुझे है समाया ,
अपनी धड़कनों में है बसाया ,
खुशनसीबी है मेरी
जिसे तुम मिले , मिल गयी
उम्र भर का सरमाया .
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