Friday, 27 January 2017

आज़ादी

-बेटा उठो, सुबह हो गई है...

-और फिर बाबूजी के साथ फसल भी काटना है.

-माँ मुझे खेत नहीं जाना, थोड़ी देर सोने तो दे.
-नहीं खेत तो तुम्हे जाना ही होगा, चलो उठो.
     तभी पास के स्कूल से वंदे मातरम की धुन सुनाई देती है .....
-अरे मुझे तो उठना ही होगा.
-आज तो स्वतन्त्रता दिवस जो है!!!
-बेटा तो हमें इससे क्या मतलब????
-अरे माँ तूँ कब समझोगी! आज स्कूल में गाना      बजाना होगा ,झंडा फहराया जायेगा.
-और जानती हो माँ आज हमें भरपेट खाना और मिठाई भी खाने को मिलेगा.
-आज हमें एक तिरंगा झंडा भी मिलेगा.आज हम सभी बच्चे अपने झंडे ले अमराई में खेलेंगे भी.... बहुत मज़ा आएगा.
-बहुत बोल लिया.चल जल्दी से अब नहा धोकर बाबूजी का नाश्ता लेकर जा. वो बड़े मालिक का खेत जोत रहे हैं.
-और हाँ, एक बात कान खोल कर सुन ले , जश्न हमारे नसीब में नहीं. हमें मेहनत करनी पड़ती है तब जाके कहीं दो जून की रोटी नसीब होती है...
-चल जा अब जल्दी कर....

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