"मैथिली ठाकुर"
---------------------
हाँ ,यही तो नाम है उस छोटी सी गायिका का.आज पांच-छः दिनों से लगातार यू ट्यूब पर मैथिली ठाकुर की गायिकी के विविधताओं का रसास्वादन कर रही हूँ. सोचा अपने सभी फेसबुक मित्रों से भी इनका परिचय साझा करूँ. फिर सोचने लगी की एक नए चेहरे से परिचय कराने में रचनाओं के शीर्षक भी तो दमदार तो होने चाहिए. परन्तु मैथिलि ठाकुर का नाम और व्यक्तित्व ही अपने आप में सशक्त और परिपूर्ण जान पड़ा कि बांकी अन्य शीर्षक मुझे आकर्षित नहीं कर पाये. मिथिलांचल की इस छोटी सी बिटिया के मैथिलि गायन से वशीभूत हो मेरी जिज्ञासाएं बढ़ने लगीं.इस बच्ची के गायकी में पक्के रागों की तासीर,ग़ज़ल की बारीकी ,मैथिली लोकगीतों की वो मिठास सभी कुछ तो है.इसकी गायकी में एक उत्सव जैसी बात नज़र आती है.हैरान तो मैं इसके मैथिलि गायकी से ही थी ,परन्तु जिस तरीके से इसने "केसरिया बालमा आओजी ," और ग़ज़ल "याद पिया की आये हाय ये दर्द सहा ना जाए"(पक्का राग) को गाया है मैं तो इसकी मुरीद हो गई हूँ.
अधिकतर गायक या गायिका अपने गायिकी के किसी एक क्षेत्र में ही अपनी विशेष काबिलियत दिखा पाते हैं.जैसे कोई अगर क्लासिकी मौसिकी गाता है तो वह पॉप गायकी में शायद बेहतर प्रदर्शन ना दे पाए या फिर कोई पॉप गानेवाले के लिए शायद भजन , ग़ज़ल या किसी अन्य विधा में गाना थोड़ा मुश्किल हो .या फिर उसमें रुहदारी वाली बात ना हो. यहां तो मैथिली ठाकुर किसी भी तरीके के गाने को आसानी और बखूबी से गा जाती है , क्या बात है!
मैथिली संस्कृति में पली बढ़ी इस बच्ची ने,विद्यापति के पदों को और मिथिला संस्कृति से जुड़ कई गीतों जैसे विवाह एवं अन्य उत्सवों पर गए जाने वाले लोक गीत एवं भजन को बड़े ही रूहदारी के संग गाया है.
अब तक मिथिला संस्कृति के सांस्कृति विरासत (जो की गायकी के रूप में है) को शारदा सिन्हा जी ने अपनी गायकी से विश्व पटल पर पहचान दिलाई.आज उसी सांस्कृतिक विरासत को भविष्य से जोड़ने की कड़ी शायद मैथिली ठाकुर के रूप में हो. भविष्य में असीम संभावनाएं उसे हासिल हो,संगीत की ऊंचाइयों को छूएं, अपने देश और प्रदेश का नाम ऊंचा करे. यशस्वी हों,तेजस्वी हों, "rising star" के मंच पर विजयी हों,मैथिली ठाकुर को मेरी अशेष शुभकामनाये भी.
@Ajha.17.02.17
©अपर्णा झा.
*अगर कलम की ताकत कला को आगे ले जा सकती है तो ये मेरा दायित्व है कि अपने कलम का मैं इस्तेमाल करूं.
No comments:
Post a Comment