Friday, 17 February 2017

खुश रहने का सबब

खुश रहने का सबब था
चाँद तारों को निहारना
वो बागों की खुशबू ए गुल में
तुझे ही तलाशना
रंगे हिना प्यारी थी बहुत
कोयल की कूक में
तेरी सदाओं को सोचना
हलकी सी जो हवाओं का झोंका हुआ
कंपन हुई ,एक अनजान सा डर
एक आहट, क्यों हुआ ये दिल आहत
बहुत मुश्किल से गुजरी है रात
यारब
चुपके से किसी ने
ज़माने की बात कर दी
है फिर से.
@Ajha.16.02.17

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