Friday, 1 April 2016

सब कुछ लुटाने को . . .

सब कुछ लुटाने को जी चाहता है
- - - - - - - - - - - - शाहिर लुधियानवी .

मेरी खातिर लिखे वो चंद अशआर
वो तेरे हर बातों में मेरा होना
तन्हाइयों में भी मुझ को ही सोचना
एक मुजस्सिमा भी बनाया है मेरी जुदाई में
तुझ में " मेरी "  आदत बेशुमार होना
अब इससे आगे मैं क्या कहूँ _
दिल - ओ - जान लुटाने को जी चाहता है . @Ajha . 01.04. 16
Aparna Jha
#KaafiyaMilaao

मुजस्सिमा - मूरत ,

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