ऐसी फूल सी थी छुई - मुई वो
नजाकत उसकी क्या खूब
हँसती - खिलखिलाती है वो हरदम
सुबह की ताज़ी धूप है वो
गुन - गुनाना , चहचहाना , वो बातें बनाना
क्या मासूम सी परी है वो
एक मुजस्सिमा है सरापा नूर का वो
एक बंद किताब की तरह मेरी जिंदगी है वो
जिंदगी तुझको तो बस ख्वाब
में देखा हमने .
@ Ajha . 19. 03. 16
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