Friday, 1 April 2016

अल्फाज . . .

अल्फाज
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अल्फाजों से दोस्ती अपनी पुरानी है
ये मेरी वो अनकही कहानी है
रिश्ते भी यही निभाती है
जज्बातों को मेरी तुम तक पहुँचाती है
ना कोई शुक्राना इसे चाहिये
ना कोई नज़राना इसे चाहिये
ना ही तौहमत मुझ पे ये लगाती है
बस मेरा रिश्ता इनसे कुछ कोरे काग़ज़
और चंद लफ्जों का है
मेरे सुख और दुःख को बखूबी से उतारती
मुझ जैसा ही है ये भी जज्बाती
मेरी शक्ति है , भक्ति  है ये
जब तक जागूूँ जागे है ये
नींद में भी सपना बनकर , अपना बनकर
सहलाती है , सोते भाग्य जगाती है
अब बोलो कैसे भूलूँ इनको मैं
जो सबसे जुड़ने का एक तार है
मेरे जीने का ऐलान है
खुदा से  मेरी बगावत का फ़रमान है  ,
इसके बिना मेरी ज़िंदगी अधूरी है
हाँ ये मेरे अल्फाज हैं और
मुझे इनसे प्यार है , प्यार है , प्यार है
इसके बिना मेरा जीना दुश्वार है
@ Ajha . 31. 03. 16

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