Tuesday, 14 August 2018

मन रोता है...

"मन रोता है कि ये कैसी राजनीति...."

एक फ़िल्म आई थी मधुर भंडारकर की 'page 3'.फ़िल्म हालांकि टीवी पर ही मैंने देखी थी.दो-तीन दिन तक सोचने में ही गुज़र गये. परिणामस्वरूप अखबार की रोज़ की वो पत्रिका का 'पेज 3' जिससे सुबह का तड़का लगता था, विद्यार्थी जीवन में जो चस्का लगा था,वो भूत उतर गया.समझ गई हूँ,बस, बड़े लोगों की कुछ घिनौनी बातें, बहुतों के लिये जीवन की हकीकत है. आज की ही बात नहीं,यही होता आया है.रसूखदार लोगों को किसी का डर नहीं...ना समाज का,ना न्यायपालिका.
अपर्णा झा

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