Tuesday, 14 August 2018

बहुत कुछ देखना है

"क्या-क्या नहीं, बहुत कुछ देखना
है बाकी..."

विरोध करना अच्छी बात है.
एकजुटता दिखाना बहुत अच्छी बात है,देशहित की बात है.इससे सरकार और देश मजबूत होता है.लोगों में आत्मविश्वास बढ़ता है.पर आज हालात को यदि तुलना की जाय तो क्या ये जो विपक्षियों की एकजुटता वाकई उन 40 बालिकाओं के हक की लड़ाई है?क्योंकि यदि आश्रमों की बात हो तो बीते कुछ समय में जितने भी बाबा पकड़े गए हैं वह बालिकाओं के उत्पीड़न का ही भंडाफोड़ है जिसमें की विभिन्न क्षेत्रों के रसूखदार लोगों की मिलीभगत रही.वो दिल्ली का मामला हो या किसी और राज्य का....
कहाँ इसप्रकार की विपक्षियों की एकजुटता दिखी.अचानक से हमारे नेताओं को उनके ज़मीर
ने अचानक से कैसे आवाज़ दी है और वह भी बिहार के मामले ने?
कहीं ये एकजुटता बंगाल के मानवीयता से जुड़ने का दूसरा कदम तो नहीं...पहला कदम तो शायद कुमारस्वामी के मुख्यमंत्री के ताजपोशी का तो नही था?
यदि ये सारी दलील यदि गलत है तो विपक्ष में सरकार की तरह इतनी ताकत तो होती ही है कि वो मुजरिमों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवा तो सकता है.
अपर्णा झा

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