Saturday, 18 August 2018

ऐसा क्यों

ऐसा ही था
यही होना ही था तो
इंसान क्यों बनाया
देकर फ़क़ीरी
एहसान क्यों जताया
चलो और कुछ नहीं तो
अकेले में ही
खुद को संभाल लेती
आसमान तले ही सही
जीवन गुज़रती
ये सोच के जी लेती
पूर्वजन्म के मेरे पाप बहुत हैं
परन्तु नन्हा सा ये बच्चा !
तुमसे ही पूछती हूँ
क्या इसने भी कोई ऐसे
कर्म किये हैं...
या फिर तेरी फितरत ही
 है सताने की, या
ये कौन से जन्म का
तूँ बदला मुझसे ले रहा
चल मान लिया कि
मैं कसूरवार ही सही
भोग लुंगी वो सब तुम्हारी
सोची-समझी
तूँ तो भगवान है
तूँ सभी कुछ जानता है
बस इतना तो बता दे
मेरे सज़ा काटने की
मियाद क्या है
मैं नही चाहती मेरे भोगे का
साया भी इस पर पड़े
मुझे तो बस जिंदगी है
इसकी बनानी
मन में बस यही ठानी
और मान लिया है कि
जीवन के संघर्ष,नित्य प्रति
चलती ही रहेगी
बस एक लेना है वादा तुझसे
हे भगवान !क्या साथ है
तूँ मेरे इस जीवनपथ पे?

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