Tuesday, 6 October 2015

धर्म

कहते हैं हिंसा का कोई धर्म नहीँ होता . मेरा भी यही मानना है .

जिसका आगाज हो मजबूरी ,
अनेकों हो उसपे तौहमते - इलज़ाम ,
और अंजाम हो इंतकाम ,
फ़िर उसके लिये _
क्या होना हिंदू और
क्या होना मुसलमान .
_ _ _ _ _ Aparna Jha

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