Wednesday, 7 October 2015

सुप्रभात

नई आशा , मान - सम्मान लिये ,
जाग उठा इंसान .
फ़िर जहाज से तुझे ,
अलग हो जाना होगा
और ,
'जहाज का पंछी '
साँझ पड़े ,
फ़िर जहाज में आना होगा .
__ _ _ _ इसी आशा के साथ सुप्रभात .

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