ये घटा , ये छटा , ये लाली उसके पीछे हरियाली मदमाती , लहराती छेड़े अपने आने की तान ये है झरने की गान . मानो , अपने प्रियतम को ढूँढती , मंजिल को चूमती , आ पहुँची है मक़ाम तक .
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