हसरतों की चाह में कहीँ इंसानी रिश्ते ना हाथ से फिसल जायें . सुप्रभात .
" हसरत "
मजबूरियां रही होंगी ,
यूँही कोई बेवफा नहीँ होता .
हसरतों के आइने में पता
बदलने की बात करते हो तो ,
ऐ मेरे दोस्त,
बात ये तू याद रख ,
जन्म से मरण तक इंसान कभी
एक पते पे नहीँ होता .
कभी बचपन में , कभी जवानी में तो
कभी बुढ़ापा .
कभी माँ- बाप से जुड़कर तो
कभी माँ- बाप होकर .
कभी सहारा ले कर तो
कभी सहारा देकर .
आसाँ नहीँ है ज़िंदगी की कहानी ,
पता ढूँढ़ने की तू कभी कोशिश ना कर .
_ _ _ _ _ _ _ _ Aparna Jha
Image from web image .
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