ऐ गुजरता हुआ ये साल, तू ये पैगाम लिख दे कि " जाने वाला कुछ कमतर ना था , इसके आगे की कहानी तू अपने नाम लिख ले . "
किसी सोच की बुनियाद मांझी के दम पर होती है चाहे वो अच्छी हो या बुरी या फ़िर क्रांति , शांति या बगावत .
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