शब्बा - खैर (शुभ रात्रि )
वो शाम कुछ अजीब थी , ये शाम भी कुछ अजीब है . मैखाना भी यही था , दिले जाना भी यहीं , बात कुछ भी ना हुई , पैमाना बदल गया .
चित्र : आदरणीय मीना कर्ण .
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