मधुशाला में बैठे ताक रहे थे
कैसा होगा पीनेवाला
पूछा साकी से " कैसी
ये मदहोशी , कैसा ये पीनेवाला
बोली साकी_ अय्याशियों से है भरी
रास ना आयी अब के मधुशाला .
तब की मदहोशी अच्छी थी
सच्ची थी ,
राष्ट्र प्रेम में मर मिटने वाले
आया करते थे मधुशाला ."
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