जब लक्ष्य को साधा है , तमाशा भी वही है , सूरत भी वही है , सीरत भी वही है , भीड़ भी वही है . क्यों कोई फ़िर पथ भ्रमित हो , ये तो किस्सा वही है _ इक तीर - कमान वाला अर्जुन है , और उसका निशाना है .
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