Wednesday, 23 December 2015

जिंदगी से दो टूक बातें .

जिंदगी जो हँस के गुजारनी चाही , गुजर ना सकी,
वो तो खुद से किया एक वादा था जो हँसकर गुजार दी .

जो तेरे दाग थे दामन में , और जो दाग लगे मेरे दामन में ,
उसे कभी धो ना सके , और इसलिये कभी खुल कर रो ना सके .

दुनियाँ के रंजिशों - रवायतों का बोझ कुछ ऐसा था कि ,
कभी ढो ना सके और इसके कभी हो ना सके .

दुनियाँ में अकेले ही आये हैं अकेले ही जाना होगा , इस रीत को निभाना होगा .

तुम कभी नाउम्मीद ना हो , नासाज ना हो
तेरे से वादा था संग रहने का , संग तेरे जिये जा रहे हैं .

नाकामयाबियों का शोक मनाना मुझे मंजूर नहीँ,  इसलिये हर दिन को जश्न की तरह जिये जा रहे हैं .

है तबाहियों का आलम चारों ओर , हिम्मत तो देखिये मेरी _
फ़िर भी खुद को संवारते जा रहे हैं .

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