Tuesday, 3 May 2016

दौलते - इश्क

दौलते - इश्क ने मुझे बैरागी बना दिया
अब दुनियाँ की ख़बर ही कहाँ मुझको .
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उम्र भर की जो कमाई देखी
फ़कत दुनयावी , दुनयावी देखी

तुमको जो देखा तो ये गुमान हुआ
शख्सियत में तेरे जन्नत , जन्नत देखी

लोगों को परेशान , पशेमान देखा
मैंने तो तुममें खुद की रिहाई देखी .

ज़माना चाहे लाख शोर मचाये
हमने तो इश्क में वफाई देखी .

इश्क में इस कदर डूबा हूँ यारों
खुद में इक बैरागी देखी

कौन कहता है जालिम है ज़माना
सारे आलम में बन्दगी , बन्दगी देखी .

दौलते - इश्क का असर ना पूछो यारों
हमने हर सू  खुशी- ओ -  अमीरी देखी .

या रब ! बंदों पे इक नज़रें - इनायत कर
सबों में  नजरे - मुहब्बते - पाक ही  दिखे .

 
@ Ajha . 01. 05. 16
Aparna Jha .

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