दौलते - इश्क ने मुझे बैरागी बना दिया
अब दुनियाँ की ख़बर ही कहाँ मुझको .
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उम्र भर की जो कमाई देखी
फ़कत दुनयावी , दुनयावी देखी
तुमको जो देखा तो ये गुमान हुआ
शख्सियत में तेरे जन्नत , जन्नत देखी
लोगों को परेशान , पशेमान देखा
मैंने तो तुममें खुद की रिहाई देखी .
ज़माना चाहे लाख शोर मचाये
हमने तो इश्क में वफाई देखी .
इश्क में इस कदर डूबा हूँ यारों
खुद में इक बैरागी देखी
कौन कहता है जालिम है ज़माना
सारे आलम में बन्दगी , बन्दगी देखी .
दौलते - इश्क का असर ना पूछो यारों
हमने हर सू खुशी- ओ - अमीरी देखी .
या रब ! बंदों पे इक नज़रें - इनायत कर
सबों में नजरे - मुहब्बते - पाक ही दिखे .
@ Ajha . 01. 05. 16
Aparna Jha .
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