ये कुदरत का करिश्मा
या जिंदगी की पहेली
खुशी की अंगड़ाइयाँ है
या कुदरत की आंख- मिचौनी
ये लालिमा कोई कोलाहल या
संदेश किसी के खुशआमद का
नभ की इन गहराई में
डूब सका ना कोई
लहरें कितनी भी आयें
तूफां कितनी भी शोर मचाये
जीवन है इक अविरल धारा
नदियों संग बह ,
लगे किनारा
'बैरागी' बन लक्ष्य को पाना
जीवन हो सार्थक सबका
'सुप्रभात ' नित्य यही कहते जाना . .
@ Ajha 30.04.16
Meena दीदी ये आपके लिये .
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