अभी दो -तीन दिन ही हुए होंगे,परिवार के साथ "सरबजीत " (सिनेमा ) देखने गई थी.मुझे अंदाजा हो चला था कि यह मेरे तरह की फिल्म नहीँ होगी बावजूद इसके पतिदेव की इच्छा को मान लिया .फिल्म देख भी लिया पर एक बात समझ में नहीँ आई कि इस फिल्म को बनाने का मकसद आखिर क्या रहा होगा ?
ऐसे हृदयविदारक दृश्य जो कि मन को विचलित कर जायें , हम बच्चों को क्या दिखाने ले जा रहे ? एक इंसान जिसके नशे की आदत ने अपनी ज़िंदगी का तो खात्मा किया ,पर साथ अपने कितने लोगों को बेमौत जीने के लिये मजबूर कर दिया.परिवार की स्त्रियाँ बेवा और बच्चे अनाथ कर दिये.बात यही दीगर होती जो देश के लिये शहीद होता.
आज दूसरे देश के जेल और कैदियों की दुर्दशा दिखा क्या हम इसकी दशा सुधारना चाहते हैं या अपने आने वाली पीढी में एक वैमनस्यता की भावना पैदा कर रहे हैं.क्या इससे
फिल्म को देख नशाखोरी में सुधार आयेगी या नशा बेचने वाली दुकानें बंद हो जायेंगी.
देश तो अपना जवाब अपने हिसाब से सम्बन्धित देश को दे ही देता है पर ज़रा सोचिये ऐसी हालत में वो परिवार अपनी ज़िंदगी गुज़र बशर कैसे करता है ! मैं फिल्म के निर्माताओं से यही जानना चाहती हूँ कि
1: इस फिल्म को बना कर वो सम्बन्धित परिवार का सम्मान कैसे वापस लाने वाले हैं.
2: क्या ये बेहतर नहीँ होता कि देश पर शहीद होने वाले किसी फौजी जवान के जीवन की सच्ची घटना पर आधारित फिल्म बनती जहाँ देश प्रेमf को और बढावा मिलता और समाज फौजी लोगों से और करीब होते.
*ये मेरे मन के उदगार हैं हो सकता है मैं अपनी सोच में कहीँ गलत भी हो सकती , आप लोगों की राय जानना चाहूंगी.l think its a film for those who enjoys sadistic pleasures.but one thing is sure that acting of each one them _ excellent,undoubtedly.
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